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ये 6 नौकरियां करने वाले लोगों को कैंसर का खतरा हो सकता है

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कई नौकरियां आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। अगर आप भी इस बारे में नहीं जानते हैं कि कौन-कौन सी नौकरियां आपके स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकती हैं, तो हम आपको कुछ ऐसी नौकरियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं और कैंसर होने का कारण बन सकती है।

1. पायलट

Piltos

एक विश्लेषण के अनुसार, पायलट अपने काम के दौरान पराबैंगनी किरणों के संपर्क मे होते हैं। यूवी किरणों के संपर्क में आने से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन से पता चला कि उड़ान के दौरान एक घंटे तक हवाई जहाज के कॉकपिट में बैठना यानि 20 मिनट तक धूप में बैठकर टैनिंग करना है। इसका मतलब यह है कि यदि आप एक घंटे के लिए विमान के कॉकपिट में बैठते हैं, तो आपको 20 मिनट के लिए सन बाथ ले चुके रहते है, इस दौरान जितना यूवी रेडिएशन के संपर्क में आते हैं उतना ही रेडिएशन आपको होता है। जिसके वजह से स्किन कैंसर हो सकता है।

स्किन कैंसर- कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो समय के साथ घातक साबित हो सकती है। कैंसर के शुरुआती लक्षण सामान्य ही होते हैं, लेकिन लोग अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैंसर हमारे शरीर के अनचाहे हिस्सों पर कैंसर हो सकता है। जिसे स्किन का कैंसर भी कहते है। स्किन कैंसर शरीर मे कही भी हो सकता है।

कान के अंदर

पैर के तलवे मे

नाख़ून के नीचे

हाथों की हथेलियों मे

पलकों पर

सर की त्वचा पर।

2. लाइफगार्ड

Lifeguard

लाइफगार्ड को भी अपने काम के दौरान त्वचा की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पाया है कि सुबह 10 से 4 के बीच सूर्य की पराबैंगनी किरणें सबसे तेज़ होती हैं। इन घंटों के दौरान संगठन ने लोगों को सूरज के संपर्क में कम रहने की सलाह दी। इसके अलावा यदि आपको बाहर जाना है, तो आपको कम से कम 15 एफपीएस वाले सनस्क्रीन ही लगाकर निकलें।

3. डेस्क जॉब

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यदि आप उन लोगों में से हैं जो डेस्क पर बैठे आपके अधिकांश काम करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग ज्यादा समय तक बैठे रहते हैं। उनके लिए कैंसर का खतरा अधिक बढ़ जाता है, भले ही चाहे वो व्यायाम (एक्सरसाइज) ही क्यों ना करते हों।

4. नेल सैलून

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नेल सैलून अपने तेज़ ब्रावडो के लिए जाने जाते हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि नाखून सैलून में अधिक कैंसर कारी रसायन होते हैं, जो कार गैरेज या तेल रिफाइनरियों में पाए जाते हैं। इस साल जर्नल एनवायरनमेंटल पॉल्यूशन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि कई सैलून में कार्सिनोजेनिक रसायन भी पाए जाते हैं। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में अनुमान लगाया कि नेल सैलून में काम करने वाले लोगों में कैंसर होने का जोखिम बढ़ता है।

5. किसान

Kishan

अन्य व्यवसायों में काम करने वाले लोगों की तुलना में किसान और उनके परिवार के सदस्य कैंसर रोग से अधिक पीड़ित हो जाते है। क्योकि शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके पीछे कीटनाशकों का एक्सपोजर एक बड़ा कारण हो सकता है। वास्तव में कीटनाशकों के संपर्क में आने वाले किसानों में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना 20 फीसदी अधिक होती है। क्या प्रोस्टेट कैंसर और इसके क्या लक्षण है

प्रोस्टेट कैंसर- प्रोस्टेट कैंसर केवल पुरुषों में होता है। इसका कारण यह है कि प्रोस्टेट ग्रंथि केवल पुरुषों में पाई जाती है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह ग्रंथि शुक्राणु द्रव बनाता है। प्रोस्टेट ग्रंथि अंडकोष के पास स्थित होती है। भारत में पुरुषों को होने वाले कैंसरों में प्रोस्टेट कैंसर लोगों की मौत का प्रमुख कारण है। शुरू में प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण काफी सामान्य हैं, इसलिए लोग इसे अनदेखा करते हैं। वास्तव में प्रोस्टेट कैंसर बहुत धीरे-धीरे फैलने लगता है और सबसे पहले पेशाब से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं।

प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण

1. पेशाब के दौरान दर्द या जलन।

2. पेशाब करते समय बहुत धीरे या कम पेशाब आना।

3. बिना किसी कारण अचानक से वजन कम होने लगना और कमजोरी आने लगना

4. पेशाब करने के बाद आपको लगता है कि मूत्राशय खाली हो गया है, लेकिन कुछ सेकंड के बाद मूत्र की 2-3 बूंदें निकल जाती हैं।

5. पेशाब करने के बाद भी आपको लगता है कि आपका मूत्राशय खाली नहीं है।

6. रात में बार-बार पेशाब या सामान्य पेशाब आना।

7. टॉयलेट पहुंचने से पहले यूरिन का  पास हो जाना।

8. पेशाब के साथ खून का निकलना।

 6. फायरमैन (दमकलकर्मी)

Fireman

यह आश्चर्य की बात नहीं है कि अग्निशामकों का काम बेहद खतरनाक और संभावित रूप से जोखिम भरा होता है। लेकिन जब वह कहीं आग बुझाने के बाद वापस आता है, तो सूट उतारने के बाद भी उसका स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित होता है, क्योंकि काम के दौरान जो धुंआ अंदर लेते हैं, उससे उन्हें सांस संबंधी परेशानियां होने की संभावना अधिक बाद सकती है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सेफ्टी एंड हेल्थ वर्क के एक हालिया अध्ययन से कहा है कि अग्निशामकों में कैंसर का खतरा अधिक होता है।